आज शब् ऐ आशूर है क़यामत की शब् है यह गिरया करने की शब है जियारत करने की शब है दुआ करने की शब है। हर साल की तरह पूरे खुलूस के साथ शब ए आशूर ...
आज शब् ऐ आशूर है क़यामत की शब् है
यह गिरया करने की शब है जियारत करने की शब है दुआ करने की शब है।
हर साल की तरह पूरे खुलूस के साथ शब ए आशूर उर्फ़ी और अफरोज भाई ने अपने इमामबाड़े में फर्श ए अज़ा बिछाई जिसे खिताब किया जाकिर ए अहलेबैत जनाब सैयद मोहम्मद मासूम साहब ने।
उर्फी भाई अफरोज भाई की मुहब्बत मौला हुसैन से काबिल ए तारीफ। अल्लाह हुसैन की मां फातिमा जहरा के सदके में इनकी तौफेक्वा में इजाफा करे और इनकी जिंदगी खुश हाल बनाए।
यह मजलिस हर साल बाराद्वारीया जौनपुर में हुआ करती है।




