कर्बला की कुछ ऐसी हकीकतें जिन्हे जानना जरूरी है। karbala ki haqiqat,
हजरत इमाम हुसैन की याद में अरबियन 2022 पे हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दुनिया का सबसे बड़ा मार्च जारी है। जिसमें दुनियाभर के जायरीन शामिल हिस्सा ले रहे हैं। ईमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत आशूरा के दिन के 20वें रोज ये मार्च शुरू होता है. और चहल्लुम यानी 40वें दिन कर्बला में पहुंचता है।
जुलूस में शामिल जायरीन मातम मनाते हुए आगे बढ़ते हैं और आसपास के रोग राह में इन जायरीन की सेवा करते इन्हे खाना खिलाते इनके हाथ पैर दबाते दिखते हैं यह एक-दूसरे की मदद, सेवा और इंसानियत का संकल्प लेते हैं।
अरबियन मार्च दुनिया में हजरत इमाम हुसैन के प्रेम, शांति, इंसानियत, न्याय और उदारता का सबक देता है।
कर्बला की कुछ ऐसी हकीकतें जिन्हे जानना जरूरी है।
1.कर्बला में शहीद होने वाले 5 लोग पैग़म्बरे इस्लाम के सहाबी थेः अनस बिन हर्स काहेली, हबीब इब्ने मज़ाहिर, मुस्लिम बिन औसजा, हानी बिन उरवा और अब्दुल्लाह बिन बक़तर उमैरी।
2.अबू तालिब की नस्ल से कर्बला में शहीद होने वालों की संख्या 30 है, 17 का नाम " ज़ेयारत नाहिया में आया है 13 का नहीं।
3.शहादत के वक्त इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की उम्र 57 साल थी और उनके जिस्म पे तीरों ,भालों के 2000 के करीब ज़ख्म थे और उनकी की लाश पर दस घुड़सवारों ने घोड़े दौड़ाए थे।
4.दसवी मुहर्रम को 3 लोगों को यज़ीदी सिपाहियों ने टुकड़े – टुकड़े कर दियाः हज़रत अली अकबर, हज़रत अब्बास और अब्दुर्रहमान बिन उमैर।
5.कर्बला में 5 नाबालिग बच्चों को शहीद किया गया। अब्दुल्लाह इब्ने हुसैन अली असगर, अब्दुल्लाह बिन हसन, मुहम्मद बिन अबी सईद बिन अकील, कासिम बिन हसन, अम्र बिन जुनादा अन्सारी।
6.यज़ीद की बैअत से इन्कार से लेकर आशूर तक इमाम हुसैन का आंदोलन 175 दिनों तक चला। 12 दिन मदीने में, 4 महीने 10 दिन मक्के में, 23 दिन मक्के और कर्बला के रास्ते में और 8 दिन कर्बला में।
7. बाद ए शहादत इमाम हुसैन अलाहिसलाम जनाब ए जैनब की सियासी सलाहियातों की वजह से यजीद की बादशाहत खत्म हो गई।
एस एम मासूम